तू एक वृक्ष
अगर तुलना करी जाये मेरी तो ,
कौनसा शब्द उचित और सटीक होगा?
आखिर म कौन हूँ
मैं माता की कोख का वो बीज जिसको,
पिता रूपी सूरज की उस किरण ने शक्ति दी,
बहार निकलकर झाकने की
उस धरती रूपी माँ और पिता रूपी सूरज ने
निरंतर सींचा और खाद डाली,
अपनी जड़ो पर खड़ा किया
बसंत में मुझ पर फूल लगे ,फल आये
तो वहीँ पतझड़ रूपी मायूसी
मेरे जीवन चक्र का अंग बन गई.
मैं और तू,
इंसान एक वृक्ष ही तो है.
>अगर खड़ा हो जाए तू अपनी जड़ो पर ,>>मजबूत करले उन्हें जो न हिले किसी मोह के दर्भ मेंn>और उस आकाश के ऊंचाई में तू उठता चल बढता चल ,>>अगर तू मौन रहे और भरे पेट दुसरो का भी अपने फल से,<>
और तेरे फूल से आ जाये किसी के मुख पर मुस्कान ,>
तो पूजा जाएगा तुझे,
और दे देंगे वृक्ष का स्थान
होगा हर तरफ सम्मान
और बन जाएगा सही मायनो में इंसान
इंसान
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