गुरुवार, सितंबर 15


तेरे दो नैनो की ख़ुशी की
दुआ तो कर लुंगी मैं,
पर मेरे मासूम से मन का ख्याल करती हूँ!
सब समझती हूँ,क्या है गलत और क्या सही?
मैं भी जिन्दा इंसान हूँ, 
इन सब का अहसास करती हूँ!
मेरे मासूम से मन का ख्याल करती हूँ.

अब कर दुगी अंत मैं
अपनी हर एक आह का,
हर एक वाह का!!!
जिससे मेरे अन्दर की चंचलता
स्वाह हो जाए!

जब है जिंदगी का नाम चलते रहना,
तो मैं क्यों रुकू और मुस्कुराऊ?
फिर क्यों इन नादान बातो पर शोक
मनाऊ???

अब नहीं रुकना मुझको,
अब नहीं ठहरना,
और नहीं किसी को सुनना है

देखी नहीं तुने मेरी फिर से
जिन्दा होने की शक्ति!
अनजान है तू अभी,
मेरे आत्म बल से!!
कई रूप धरे मैंने,
इस धरती पर आकर....

आज फिर मैं एक नए अवतार का ऐलान करती हूँ,
जो बेफिक्र होगा हर अहसास से,
जो जीएगा अपने विश्वास से


मैं एलान करती हूँ,
मेरा वो अध छुपा सच,
जिससे तू अनजान था!

अरे दोस्त!
अब तो छोड़ भी दो
पीठ पीछे खंजर घोपना तुम<
इस बात से तुम भी अनजान नहीं
की बस पढ़कर
नजरंदाज करना मेरी आदत है!

न समझना भूल कर भी इसे मेरी कमजोरी
ये मेरे नए अवतार के जन्म
में आने का निमंत्रण है!

साझ-धज कर आना तुम<
और
मेरे आने की हुंकार सुन कर जाना तुम.....
मैं ये  एलान करती हूँ!





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