मेरी बरात
कल रात मेरी अंखियों ने कहा मुझसे ,
अब नींद अच्छी नहीं लगती है ,
रस्ते बहुतेरे हैं ,
ढूँढना है मंजिल किस छोर पर सजती है!
मुझे इंतज़ार मिलन की बेला का है,
नगाड़े बजेगे सब ओर,
नाचेगे अपने भी उस धुन पर ,
नाचेगे अपने भी उस धुन पर ,
देखना है ये,
हाथो में फूलों की माला लिए वो
कब मेरा अभिनन्दन करती है?
अभी न निंदिया को बुलाना तू ,
मैं चुन लूँ राह वो,
जिससे बरातें निकलती हैं!
कल रात मेरी अंखियों ने कहा मुझसे ,
अब नींद अच्छी नहीं लगती है ,
रस्ते बहुतेरे हैं ,
ढूँढना है मंजिल किस छोर पर सजती है!
विजयी भवः
गुन्जन
विजयी भवः
गुन्जन
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सुंदर
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