शनिवार, जुलाई 21

शोहरत

सूर्य से पहले आँखों की पुतली खोले.
पहली ही किरण से मिला कर नजरें,

इरादों के भाव तोले.
शुन्य में भी जो करोड टटोले,
उसे मिलती है, शोहरत ...

जो ठोकरें सहेजता हो,
तन को निचोड़, मन मरोड़ता हो,
निंद्रा में जीत का अहसास,
जिसके रोंगटे खड़े करता हो..
उसे मिलती है, शोहरत..

भीड़ में जो अपनी छवि देखता हो,,
कर्म को पूजा, लक्ष्य को धर्म कहता हो,
ऊँचाइयों में संभलना जानता हो,
सुगंध के जैसे फैलता हो,
उसे मिलती है शोहरत..


हवा की सर-२ में जिसे संगीत सुनाई दे..
आधे भरे गिलास में आधा पानी दिखाई दे..
कुछ कर गुजरने की जिस पर हो धुन सवार ,
उसे मिलती है शोहरत..


मरते बहुत हैं इसकी उडानों पर,
कटते बहुत हैं, इसकी चट्टानों पर..
हल जैसे जुतते हैं,
ऊन के जैसे बुनते हैं..

जिसे मुस्कुराकर ,
बिना थमे चलने की आदत हो..
ना मदद लिए बढ़ने की हिम्मत हो..
खुद को खुदा कहे जो,
उसे मिलती है शोहरत..
copyright @गुंज झाझरिया 

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14 टिप्पणियाँ:

यहां शनिवार, जुलाई 21, 2012, Blogger Shikha Kaushik ने कहा…

sarthak bhavabhivyakti .badhai
.गुवाहाटी में पत्रकार गिरफ्तार..वाह रे पत्रकार ...

 
यहां शनिवार, जुलाई 21, 2012, Blogger ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बहुत सुन्दर गूँज जी.....
ईश्वर करे आपको भी खूब शोहरत मिले.
:-)

अनु

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार के  चर्चा मंच  पर भी होगी!
सूचनार्थ!

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

Aap sabhi ka abhar

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger udaya veer singh ने कहा…

मुखर व प्रखर अभिव्यक्ति .....

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger सुशील कुमार जोशी ने कहा…

खूबसूरत रचना
सुंदर अभिव्यक्ति !

शून्य में करोडो़
टटोलता है
उसका पता
बहुत कम
चलता है
शोहरत उसी को
मिलती है
जो बहुत कम
बोलता है !!

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger Rajesh Kumari ने कहा…

जिसे आधा गिलास भरा दिखाई दे सकारात्मक भाव जिसमे हों उसे मिलती है शोहरत -------बहुत सुन्दर भाव रचना के बहुत खूब

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger मेरा मन पंछी सा ने कहा…

शोहरत की खासियत
आपकी रचना में बहुत सुन्दर लगा
बेहतरीन रचना...

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

आभार सभी का..

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger Ruchi Jain ने कहा…

bahut sunder post..

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger संगीता पुरी ने कहा…

जिसे मुस्कुराकर ,
बिना थमे चलने की आदत हो..
ना मदद लिए बढ़ने की हिम्मत हो..
खुद को खुदा कहे जो,
उसे मिलती है शोहरत..

अच्‍छी प्रस्‍तुति !!

 
यहां रविवार, जुलाई 22, 2012, Blogger दिगम्बर नासवा ने कहा…

आशा और प्रेरणा का गान है ये रचना ... लाजवाब भाव लिए ...

 
यहां शुक्रवार, जुलाई 27, 2012, Blogger bkaskar bhumi ने कहा…

गुंज जी नमस्कार...
आपके ब्लॉग 'अहसास' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 27 जुलाई को 'शोहरत...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव

 
यहां सोमवार, अगस्त 06, 2012, Blogger Pradeep Yadav ने कहा…

Ahsas ko salam
किस तरह मिलूँ ....

क्या ! चाहिए ?
क्या, चाहिए ?
अजी क्या चाहिए,हसरतों का देकर भरोसा,
मीठे पलों को खोजने बस निकल जाइए ।
बेमेल दुनिया से नज़र तो मिलाइए ,
मुलायम पड़ रहे तेवर तो दिखाइए,
कुछ मुस्कुरा कर खामोश हो जाइए ,
रूक जाइए पर कंही खो न जाईए ।
रंगीन रातों का कर इंतजार,
उजले दिनों को न भूलाइए ।
अक्षरों की पढ़ी जो वर्णमाला,
गीत उस पर नया रचाइए ।
साजों पर नगमा सुरीला बैठाइए,
मेल स्वरों का नए रागों से कराइए ।
जिस पते से लौटा था ख़त,एक दिन
तबीअत से जरा ख़टखटाइए ।
मिल जाए जो जवाब ए रजामंद ,
फिर इकरार में सर को हिलाइए ,
सरताज अब बहुत हुआ सम पर तो आइए ।
क्या ! चाहिए ?
क्या , चाहिए ?
अजी छोड़िए ,अब चाहिए ही क्या ।
...प्रदीप यादव 24/07/ 2012

 

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