शुक्रवार, जुलाई 13

तू बरसता जा..


भरता जा नमी तू भीतर,
अंदर गुब्बार तू बनता जा,
चाहे गरज, चाहे चमक..
हर बार तू बरसता जा...
जो गरजे, वो बरसे नहीं
दुनिया की इस रीत से परे..
तूफ़ान सा तू उठता जा..
आंधियां लिए आगे, पीछे..
बेख़ौफ़ तू निकलता जा..
कोई रोक ना सकेगा तुझे अब,
वहम ऐसे लोगों में भरता जा..

नाहक तू दुखी हुआ,
नाहक ही तू सिसका था,,,
नाहक तुने पाली दुविधा,
हीरे जैसी चमक को तुने
नाहक तिजोरी में बाँधा था..

सन्नाटों से,विरानो से,
तपन, ठिठुरन से कर यारी..
निकल धरती से,
आसमान में उठता जा...
ज्वालामुखी क्या है तेरे आगे...
अपनी आग उगलता जा...
पक्षी डरे कि पेड़ गिरे,
ना कर उनकी चिंता,
सब साजिशों से बस निकलता जा..

भरता जा नमी तू भीतर,
अंदर गुब्बार तू बनता जा,
चाहे गरज, चाहे चमक..
हर बार तू बरसता जा...

copyright गुंज झाझारिया
 

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8 टिप्पणियाँ:

यहां शनिवार, जुलाई 14, 2012, Blogger डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति!
इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (15-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!

 
यहां रविवार, जुलाई 15, 2012, Blogger tips hindi me ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति |

ब्लॉग पर स्थापित चित्र को आकषर्क कैसे दिखाएँ

 
यहां रविवार, जुलाई 15, 2012, Blogger सुशील कुमार जोशी ने कहा…

भरता जा नमी तू भीतर,
अंदर गुब्बार तू बनता जा,
खूबसूरत अहसास !

 
यहां मंगलवार, जुलाई 17, 2012, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

धन्यवाद आपका...

 
यहां मंगलवार, जुलाई 17, 2012, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

@रूपचन्द्र जी धन्यवाद मैंने देखा ....आभार

 
यहां गुरुवार, जुलाई 19, 2012, Blogger संजय भास्‍कर ने कहा…

आपका ब्लॉग पसंद आया....इस उम्मीद में की आगे भी ऐसे ही रचनाये पड़ने को मिलेंगी......आपको फॉलो कर रहा हूँ |

 
यहां शुक्रवार, जुलाई 20, 2012, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

sanjay ji jarur..

 
यहां शुक्रवार, अगस्त 03, 2012, Blogger bkaskar bhumi ने कहा…

गुंज जी नमस्कार...
आपके ब्लॉग 'अहसास' से कविता भास्कर भूमि में प्रकाशित किए जा रहे है। आज 3 अगस्त को 'तू बरसता जा...' शीर्षक के कविता को प्रकाशित किया गया है। इसे पढऩे के लिए bhaskarbhumi.com में जाकर ई पेपर में पेज नं. 8 ब्लॉगरी में देख सकते है।
धन्यवाद
फीचर प्रभारी
नीति श्रीवास्तव

 

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