मेरे सपने, बस मेरा कॉपी राईट है.:
मेरे सपने मेरे अपने हैं.
हर समय मेरे साथ हैं,
मेरे आस- पास हैं
मेरी जिंदगी का
अहम् हिस्सा हैं वो .
जब कभी मैं अकेली होती हू,
तो देखती हू कि
वो तो मेरा साया ही हैं ,
दुःख के बादल हो
या फिर कोई दुविधा
कोई ऊप्लाब्धि
मिली हो या
टुटा हो दिल मेरा
जब जब आश्रू पोंछकर दुंध्लाई सी
आँखों से देखा
तो बस उन्हें मुस्कुराते हुए पाया.
वो खूब सारे
दोस्त होंगे
मेरी ऊचाई इतनी होगी
जो थे विरुद्ध मेरे
वो मेरे साथ खड़े होंगे
आलोचक तो होंगे
परन्तु उन्हें जवाब कोई और ही दे देगा
.
खूब पैसा
माँ -पापा कि आँखों में
अजीब सी रोनक
और
मैं बस रहूंगी
शांत, और सुशील
ना दर्भ होगा मुझे,
सब होगा सुन्दर
एक प्यारा सा हमसफ़र
जो बन जाएगा ढाल
मेरे सपने कुछ अलग भी हैं,
कुछ खास,
और कुछ देखे देखे से हैं
मैं उसका खूब ध्यान रखु,
और वो मेरा
लड़ाई बस प्यार कि हो
एक प्यारा सा हो मेरा बसेरा.
बस यही मेरे साथी हैं,
सफ़र के.
रोती आँखे,
या थके घुटने
माथे पर पसीना हो
या हाथो में चले
मेरी आस
मेरी उम्मीद
बस इन्ही से है
वो मेरी काली सफ़ेद जिंदगी का
\रंग हैं,
वो मेरे हर एक कदम के उत्प्रेरक
हैं,
अधूरी है जिंदगी मेरी
उनके बिना
कहतें ह लोग यही
तुम इतने सपने ना देखा करो
पर
मेरा सवाल है
अगर ना होंगे ये तो मेरा वजूद क्या है?
मेरी ख़ुशी क्या ह?
कौन है वो
जो मुझे ठोकर खा
जाने पर हाथ दे अपना?
वो ही
तो है
मेरा सपना,
मेरा अपना.
लेबल: मेरी कविता
4 टिप्पणियाँ:
गुंजन जब इंसान सपने देखता है तभी उन्हे पाने की चाह मे कदम उठाता है... पूरे होते है या नही वक्त के हाथो पर है.. ठीक उसी तरह जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था गीता मे कर्म करता जा फल की चिंता मत कर... शुभकामनाये!!!
dhanyawaad sir...
nice poem dear....bhut hi khubsurat kavita hai
really mere dil ko chu gaya
congrates........yu hi likhti rahe.....meri subhkamnaye aapke sath hai..
dhanywaad shivam.
god bless you...
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