धन्यवाद..
कुछ कहना था तुमसे ,
धन्यवाद...
मेरी दुनिया में पैर ज़माने के लिए,
मेरी अन्दर सोये पड़े,
बालक को जगाने के लिए.
मेरी हर टूटती साँस को सहलाने के लिए,
मेरी इच्छा का कद,
बढ़ाने के लिए.
मेरे अन्दर झांक कर
मेरी खूबियाँ
मुझे ही बतलाने के लिए..
कुछ कहना था तुमसे,
धन्यवाद.
अनगिनत बार सोचा
कह नहीं पाई,
अपनी जिद छोडना
पसंद नहीं था न.
मगर कुछ कहना था तुमसे,
धन्यवाद
मैं जिद्दी हूँ,
ये मनवाने के लिए.
खामिया बहुत हैं मुझमे,
मैं कोई परी नहीं,
ये स्वीकार करवाने के लिए.
समझाया तुमने मतलब
माफ़ी का
तुमने ही तो वास्तविकता से
हाथ मिलवाया था.
छोटी हो या बड़ी,
चाहे दूर जाने की हो या
न लौट आने की,
चाहे नहीं माफ़ करने की
या नहीं साथ देने की
हर बात को धर्य
से बतलाने के लिए.
कुछ कहना था तुमसे
धन्यवाद.
जाते जाते भी दुनिया की रीत
दिखलाने के लिए,
उम्र भर की
सीख सिखलाने के लिए
माँ-पापा ने बहुत कोशिश
की थी
तुम बड़ी हो गयी,
समझने की.
कुछ कहना था तुमसे
धन्यवाद
मुझे एक ही पल में
सयानी बनाने के लिए.
सवाल कई थे,
भ्रम भी
पाले थे,
यूँ ही हवा के जैसे
छु कर चले जानने का
तरीका तुम्हारा तो नहीं था,
अनुमान कई लगाये थे,
पर कहना सिर्फ इतना ही था..........
उन ख़ूबसूरत पलों
में साथ देने के लिए
धन्यवाद.........
कुछ कहना था तुमसे,
धन्यवाद...
धन्यवाद...
मेरी दुनिया में पैर ज़माने के लिए,
मेरी अन्दर सोये पड़े,
बालक को जगाने के लिए.
मेरी हर टूटती साँस को सहलाने के लिए,
मेरी इच्छा का कद,
बढ़ाने के लिए.
मेरे अन्दर झांक कर
मेरी खूबियाँ
मुझे ही बतलाने के लिए..
कुछ कहना था तुमसे,
धन्यवाद.
अनगिनत बार सोचा
कह नहीं पाई,
अपनी जिद छोडना
पसंद नहीं था न.
मगर कुछ कहना था तुमसे,
धन्यवाद
मैं जिद्दी हूँ,
ये मनवाने के लिए.
खामिया बहुत हैं मुझमे,
मैं कोई परी नहीं,
ये स्वीकार करवाने के लिए.
समझाया तुमने मतलब
माफ़ी का
तुमने ही तो वास्तविकता से
हाथ मिलवाया था.
छोटी हो या बड़ी,
चाहे दूर जाने की हो या
न लौट आने की,
चाहे नहीं माफ़ करने की
या नहीं साथ देने की
हर बात को धर्य
से बतलाने के लिए.
कुछ कहना था तुमसे
धन्यवाद.
जाते जाते भी दुनिया की रीत
दिखलाने के लिए,
उम्र भर की
सीख सिखलाने के लिए
माँ-पापा ने बहुत कोशिश
की थी
तुम बड़ी हो गयी,
समझने की.
कुछ कहना था तुमसे
धन्यवाद
मुझे एक ही पल में
सयानी बनाने के लिए.
सवाल कई थे,
भ्रम भी
पाले थे,
यूँ ही हवा के जैसे
छु कर चले जानने का
तरीका तुम्हारा तो नहीं था,
अनुमान कई लगाये थे,
पर कहना सिर्फ इतना ही था..........
उन ख़ूबसूरत पलों
में साथ देने के लिए
धन्यवाद.........
कुछ कहना था तुमसे,
धन्यवाद...
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1 टिप्पणियाँ:
NO 1 UPSTHIT HAI MAM. . . . . PYAARI RACHNA. . . DHANYWAAD. . . . . . .JAI HIND JAI BHARAT
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