काश मैं ऐसा पहले समझ जाती.......................................
हर एक टूटती लकीर में
हर एक जुड़ती तकदीर में
काश को देखा मैंने.
काश के मुझे वो गुडिया मिल जाती,
काश के मेरे बाल भी लंबे होते
काश मैं भी चुटिया बना पाती,
काश मैं माँ जितनी बड़ी होती
काश मैं भी साडी पहन पाती.
छोटी छोटी आँखों में
उम्र के साथ
काश को पलते देखा,
इस बढ़ते कद के साथ
काश को बढ़ते देखा
काश मेरी लिखाई
मेरी दोस्त से सुन्दर हो जाती,
काश आज मैं थोडा पढ़ आती
काश मेरे पास वो पेन्सिल
होती
काश भैया मुझे अपने साथ खेलने देता
काश मेरी भी कोई बहन होती.
हर एक मोड़ पर सपनो का
हकीकत से फासला,
लम्बा होता रहा
और काश
फलता फूलता रहा.
काश मैं प्रथम आ गई होती
काश मेरी स्कूल बस
हरी वाली होती.
या काश
मेरी दोस्त का घर
मेरे घर के पास होता.
धीरे धीरे काश ने घेर लिया यूँ
काले नाग ने
अपने फन में जकड़ा हो ज्यूँ
काश वो लड़का मुझसे
बात कर ले
काश माँ पापा
को मना ले.
काश भाई मुझे
माँ के गुस्से
से बचा ले .
काश मुझे अच्छा कॉलेज मिल जाये,
काश मेरी अच्छी जॉब लग जाये,
काश मैं वो ड्रेस ले पति
काश मैं वो गाड़ी चला पाती.
काश मेरे पुराने दोस्त साथ होते,
काश मैं माँ जितनी सुन्दर होती .
बसंत में
खिलते फूल की तरह
जब खिली मैं कलि
पापा के आँगन की
उस पौधे के साथ
काश नाम का घास
भी बढ़ता रहा
सुन्दरता, और छवि
छुप गई घास में
और दुनिया का
वो खुबसूरत नजारा
कही चुप सा गया .
काश बसंत आ जाये
काश पानी बरसे,
काश गुंजन गुनगुनाये
काश पपीहा
गीत सुनाये.
काश को देखते
और जपते
ही पूरा बसंत चला गया
न बरसा बादल देखा
न भवर पहुच
पाया फूल तक
न कोयल की कूक
सुनाई दी
न खुशबू
फैली बगिया तक
काश ने रंग डाला
सारा आकाश मेरा
धूमिल सा लगने लगा
हर रंग तेरा
अब उस पट्टी की
गांठ ढीली होने लगी है
हलकी सी रौशनी अब
घास को भेद कर
फूल तक पहुचने लगी है
अब उम्मीद है,
बसंत आयेगा
और
कोयल गाएगी
इस फूल की मुस्कान
में और फूल भी खिल जायेगे
और बगिया में बहार
अब जाकर मुझे
काश और उम्मीद का फर्क दिखा है
अब जाकर
वर्तमान में सब मिलता है
वाक्य का
अर्थ समझ आया
अब उम्मीद है
मुझे जो मिलेगा
मैं उसमे खुल
कर साँस लूगी
और हर पल का
आनंद लूगी...
काश मैं ऐसा पहले समझ जाती.................................................
काश मैं ऐसा पहले समझ जाती.................................................
लेबल: मेरी कविता
1 टिप्पणियाँ:
MAN KI SAB KHWAISEN PURI HONGI, JAB DIL ME TAMNNA KUCH KAR DIKHANE KI HOGI. . . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
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