शनिवार, जून 4

राही,



जब - जब समक्ष कठिनाई हो,
तू मोहक मुस्कान दिखाना उसको !!!
जब भी रडके कंकड़ चक्षु में,
तीसरी आंख खोल दिखाना जग को !!!!!

अल्हड- मोहक मुस्कान दिखा,
बस चलते रहने में भलाई है!!!
चलता नहीं रुकने का कोई नाम यहाँ,
ये इस राह की सचाई है!!!

झपक मत लेना पलको को,
यहा चूक पराजय कहलाती है!!
ढलता दिखा जो सूर्य, 
साँझ मत समझना उसको,
वो तो परीक्षक ने भटकाने की
चाल चलाई है!!!

न लेना रुकने का कोई नाम यहाँ,
ये इस राह की सच्चाई है!!

बैठा मिले कोई साथी राह में,
कहना राह लम्बी है,
साथ देने को बुलाना उसको,
किन्तु ,
तू न ठहर जाना ,
जान ले अभी भी,
इस बात में बड़ी गहराई है!!

न लेना रुकने का कोई नाम यहाँ,
ये इस राह की सच्चाई है!!

धीरे चलना धीरे चलना,
धीरे धीरे चलते रहना,
तेज दौड़ने में भी यहाँ 
बुराई है!!!
कंठ सूखे कभी राही,
तो ढूँढना मत किसी जलाशय को,
ये बस समय की बर्बादी है!!

बरसेगा मेघ तेरी प्यास तृप्त करने को,
हर एक सच्चे राही की पीठ 
उसने थपथपाई  है!!!

न लेना रुकने का कोई नाम यहाँ,
ये इस राह की सच्चाई है!!एक और नियम है इस राह का,
ध्यान न करना बीते किसी चौराहे का!!
मन में मत लाना किसी बिछड़े राही की बात!!!

जो गए तुझसे पहले ,
उनके पदचिन्हों को पढ़ते रहना!!
उनकी हार में तेरी जीत छुपी है,
बस ढूँढना ही तेरी कठिनाई है!!!

है मुमकिन इस रस्ते के पार जाना भी ,
खेल खेल में चलते रहना,
कंकड़ पत्थर से खेलते चलना,
फूल दिखे, मुस्कुरा जाना !!
बंजर दिखे , न डगमगाना!

जब पहुचेगा उस पार,
मुझे ऊपर से बतलाना  कि
कैसी लगती ऊंचाई है??????

राही,
चलता नहीं रुकने का कोई नाम यहाँ,
ये इस राह की सचाई है!!!
 @copyright-Gunjan Jhajharia

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