शुक्रवार, दिसंबर 23

कौन मालिक है, जवानी का?

अरे अभी आखिरी दांव तो लगाने दे,
फिर पूछना कौन हक़दार है,इस वाहवाही का !
अभी एक साँस और जीने दे,
फिर बतलाना कौन मालिक है, जवानी का!!

अभी तो बाकी है,
सूरज की आखरी किरण,
फैलने दे उसको एक बार....
फिर कहना कौन साथी है, रात की कहानी का!

डाल आँखों में आँखें
जब तक लाल धब्बा न दिखने लगे!
महसूस कर धड़कन अपनी,
फिर सोचना,
किसके हिस्से लगना बाकी है,
वो अंतिम ज़ाम साकी का!!

अभी एक साँस और जीने दे,
फिर बतलाना कौन मालिक है, जवानी का!!

लहरों के किनारे बैठकर
 ना तय कर मेरी छलांग को,
एक बार डूबकी लगाकर देख,
फिर कहना कौन साक्षी है,
प्रशांत के कदमों की जमीं का....!!

अरे अभी आखिरी दांव तो लगाने दे,
फिर पूछना कौन हक़दार है,इस वाहवाही का !

उड़ता है मेरे झुण्ड में तू सदा,
तो ना समझ तू मेरा साथी है!!
एक बार मेरे घोसले में तो आ जरा...
फिर कहना--
कौन विजेता है, जीवन की बाज़ी का !!!

अरे अभी आखिरी दांव तो लगाने दे,
फिर पूछना कौन हक़दार है,इस वाहवाही का !
अभी एक साँस और जीने दे,
फिर बतलाना कौन मालिक है, जवानी का!!


[इतनी जल्दी परिणाम तय करने वाले,
अभी धैर्य से काम लेना!!
जल्द ही लौटूंगी  मैं,
अपने पुराने अंदाज़ में!
जो अक्सर हारने के बाद जीता करती थी!!]

गूंज झाझारिया...

;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;;; सामने वाले को कमजोर समझ कर बिना अंतिम परिणाम के उसे हरा हुआ समझना आपकी स्वयं की हार का कारन बन सकता  है.!..:::::::::::::

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3 टिप्पणियाँ:

यहां शुक्रवार, दिसंबर 23, 2011, Blogger Barthwal ने कहा…

वाह बहुत खूब गुंजन ...... सच ही कहा आपने की सामने वाले को कमजोर हार का कारण बन सकता है ....

 
यहां शनिवार, दिसंबर 24, 2011, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

dhanywaad sir.....{/\}...........

 
यहां रविवार, दिसंबर 25, 2011, Blogger KAVITA ने कहा…

इतनी जल्दी परिणाम तय करने वाले,
अभी धैर्य से काम लेना!!
जल्द ही लौटूंगी मैं,
अपने पुराने अंदाज़ में!
जो अक्सर हारने के बाद जीता करती थी!!]
...bahut shandar prastuti..

 

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