मंगलवार, नवंबर 29

मेरे पास आना तुम

तुम जिस दिन हार जाओगे,
तब मेरे पास आना..
मैं समझूंगी 
तुम्हारी हार में छुपे जीत के सन्देश को.

तुम जिस दिन रोना चाहोगे,
उस दिन मेरे पास आना,
मैं दूंगी,
जगह तुम्हे सुबकने को!

जानती हूँ,
जब तुम दुबारा जीत जाओगे ,
अगली बार जब तुम मुस्कुराओगे,
तुम नहीं याद करोगे मेरा नाम....

दोस्त, पर ये याद रखना
समय का चक्र चलता रहता है,
बुरा वक़्त फिर से आये तो,
बिन बुलाये मुझे,
वही आस-पास पाओगे!

बुरा तो लगेगा बहुत,
जब यु मुस्कुराके भूल जाओगे...
पर फिर भी सब्र करना सिखा है
थोड़े में जीना सिखा है!

इंसानियत और अपनेपन का पाठ
ज्यादा पढ़ लिया था
बालपन में,
जब कोई नहीं आएगा पास तुम्हारे,
तब मेरे पास आना तुम......:)

गूंज झाझारिया

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2 टिप्पणियाँ:

यहां गुरुवार, दिसंबर 01, 2011, Blogger Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…




कोई जब तुम्हारा हृदय तोड़दे
तड़पता हुआ जब कोई छोड़दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये !


प्रिय के लिए आश्वस्ति भरी कविता…

गूंज झाझारिया गुंजन जी
नमस्कार !

सुंदर कविता है-
जानती हूं
जब तुम दुबारा जीत जाओगे
अगली बार जब तुम मुस्कुराओगे
तुम नहीं याद करोगे मेरा नाम …

दोस्त, पर ये याद रखना
समय का चक्र चलता रहता है
बुरा वक़्त फिर से आये तो
बिन बुलाये मुझे
वहीं आस-पास पाओगे !


अनुपम समर्पण भाव !

सुंदर रचना के लिए आपको बधाई !

मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

 
यहां शुक्रवार, दिसंबर 02, 2011, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद राजेंद्र स्वर्णकार जी...
आपके विचार बहुत कीमती हैं..
ऐसे ही मार्गदर्शन कीजियेगा आगे भी.....:)

 

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