युवा नसे
हौसलों की कलम से नयी किताब लिखेंगे..
खौलते लहू से हम लाजवाब लिखेंगे..
हम युवा नसे हैं,
रग रग में गुलाब लिखेंगे...
सुबह के सूरज की आब लिखेंगे..
आँखों में टपकता शवाब लिखेंगे..
गहराई और ऊँचाई के साथ,
समतल का भी हिसाब लिखंगे..
धरती क्या, क्या अम्बर,
ब्रमांड के सवालो का जवाब लिखेंगे,
गुलशन को आफताब लिखेंगे,
ना घटा कभी,
ना घट सकता..
ऐसा इतिहास लिखेंगे.
हौसलों की कलम से नयी किताब लिखेंगे..
खौलते लहू से हम लाजवाब लिखेंगे..
हम युवा नसे हैं,
नस-नस में गुलाब लिखेंगे...
गुंजन झाझारिया "गुंज"
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