मूल्यवान जीवन का सार....
कर वार, उठा हथियार...
सिंह की एक दहाड़,
डराए दर्जनों सियार....
शांत, नन्ही आँखों में..
निंदको को कर शर्मसार..
ऊँची-नीची लहरों पर..
दौड़ा दे नैया को..
पहुँच जा उस-पार..
अकेला निकल इस बार..
सिरहन हो उठे तार-तार..
रख हथेली पर इरादे ऐसे ..
सराहे सारा संसार..
चलते रह, लड़ते रह..
कर अपना खुद प्रचार..
समय बनेगा साथी तेरा,,
धुप छाव भी रहेगे ख्याल..
गीता सार जैसे ,
मूल्यवान हो जायेगा..
तेरे जीवन का सार....
copyright-गुंज झाझ
रिया
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