भीतर-२ एक लौ जल रही थी बरसो से,
आज उसकी रौशनी चहुँ ओर चमकती दिखाई दी..
अपने जैसा ही संसार को पाया मैंने...
दुनिया मेरी परछाई सी बनती दिखाई दी..:)
copyright-गुंज झाझारिया
लेबल: दुनिया के रंग
प्रेम के जहाँज पर सवार होकर उड़ने वाली एक लड़की की डायरी।
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