घूंट घूंट पीती जिंदगी
तितलियों के पंखों में कैद मुस्कराहट तुम्हारी...
पीछे भागती उसके चाहत हमारी!
जुगनू जैसी रौशनी मे चमकती आंखे तुम्हारी..
छूने उसको पानी में दौड़ती नियत हमारी!
भवरों की गुनगुनाहट में छिपा संगीत तुम्हारा,
"गुंजन" बोल बुनती ख्वाहिशें हमारी!
हरी दूब की ओस में बैठी ठंडक तुम्हारी,
उसे हौले-हौले खुद में उतारती सुबह हमारी!
झरनों के झागों में बनती बाते तुम्हारी,
खिलखिलाकर तैरती दुनिया हमारी!
चाय में अदरक जैसे कड़क आवाज़ तुम्हारी,
उसे घूंट घूंट पीती जिंदगी हमारी!
© Gunj Jhajharia
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