गरम गरम ख्याल
वक्त बेवक्त ताज़ा गरम गरम..
जो ख्याल आते जाते हैं.!
महसूस करके देखो साथी..
वही आपका वजूद बनाते हैं!
नहीं फर्क पड़ता है,
जीवन काल कितना है उनका!
कुछ ही क्षण में,
किस्मते बदल जाते हैं!
उठापटक कर,
अच्छे से नापतौल कर लेना..
वो लगते हल्के रुई जैसे,
आँसू टपके तो भारी हो जाते हैं!
क्षण क्षण रखना हिसाब...
पाई पाई से महल खड़े हो जाते हैं!
दरबान बनके रखना निगरानी,
साजिश कर बुधि हक जमाते हैं!
वक्त बेवक्त ताज़ा गरम गरम..
जो ख्याल आते जाते हैं.!
महसूस करके देखो साथी..
वही आपका वजूद बनाते हैं!
copyright @गुंजन झाझरिया
लेबल: मेरी कविता
7 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (30-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
रूपचन्द्र जी आभार आपका....
सुंदर प्रस्तुति |
इस समूहिक ब्लॉग में पधारें और इस से जुड़ें |
काव्य का संसार
बहुत सुंदर रचना !
वो लगते हल्के रुई जैसे,
आँसू टपके तो भारी हो जाते हैं!
बहुत सुंदर दिलको स्पर्श करती प्रस्तुति. बधाई हो गूँज.
काव्य संसार, सुशील जी, रचना जी...धन्यवाद एवं आभार...:))
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