शनिवार, सितंबर 28

मुझे खुदा बना दिया

आरजू-अ-जिंदगी कि मुझको कोई खुदा कहे,
जवाब था,जब पुछा !
मैं आहत जब टूटते सपने,
वो खोजे भीतर जवाब अब भी,
टटोले मेरे टुकड़े!
रौशनी से चुंधियाती आँखें उसकी,
मेरे भीतर जिसकी लौ जली थी!
जिंदगी है अब भी मुझमें,
वही जन्म लेता इंसान मेरे भीतर!
कहकर कि
इंसान है तेरा अंश
अ खुदा मेरे,
तुने मुझे खुदा बना दिया !
Gunj Jhajharia

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4 टिप्पणियाँ:

यहां शनिवार, सितंबर 28, 2013, Blogger nayee dunia ने कहा…

bahut sundar

 
यहां रविवार, सितंबर 29, 2013, Blogger Pallavi saxena ने कहा…

गहन भाव अभिव्यक्ति...

 
यहां रविवार, सितंबर 29, 2013, Blogger Rajendra kumar ने कहा…

बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,धन्यबाद।

 
यहां शुक्रवार, अक्टूबर 18, 2013, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

आप सभी का धन्यवाद..एक अरसे बाद ब्लॉग जगत में वापसी की है..इसलिए आप सभी का सहयोग चाहिए..

 

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