मुझे खुदा बना दिया
आरजू-अ-जिंदगी कि मुझको कोई खुदा कहे,
जवाब था,जब पुछा !
मैं आहत जब टूटते सपने,
वो खोजे भीतर जवाब अब भी,
टटोले मेरे टुकड़े!
रौशनी से चुंधियाती आँखें उसकी,
मेरे भीतर जिसकी लौ जली थी!
जिंदगी है अब भी मुझमें,
वही जन्म लेता इंसान मेरे भीतर!
कहकर कि
इंसान है तेरा अंश
अ खुदा मेरे,
तुने मुझे खुदा बना दिया !
Gunj Jhajharia
जवाब था,जब पुछा !
मैं आहत जब टूटते सपने,
वो खोजे भीतर जवाब अब भी,
टटोले मेरे टुकड़े!
रौशनी से चुंधियाती आँखें उसकी,
मेरे भीतर जिसकी लौ जली थी!
जिंदगी है अब भी मुझमें,
वही जन्म लेता इंसान मेरे भीतर!
कहकर कि
इंसान है तेरा अंश
अ खुदा मेरे,
तुने मुझे खुदा बना दिया !
Gunj Jhajharia
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4 टिप्पणियाँ:
bahut sundar
गहन भाव अभिव्यक्ति...
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,धन्यबाद।
आप सभी का धन्यवाद..एक अरसे बाद ब्लॉग जगत में वापसी की है..इसलिए आप सभी का सहयोग चाहिए..
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