शुक्रवार, दिसंबर 27

बदलाव

क्या लिखे तू गरीबी, बीमारी।
लेखनी तेरी क्यों डूबे दर्द में।
तार लिख, बाँटने को।
सार आत्मसात करने को।
वो भाव मुर्दे में जान फूंके,
हाथ थामे, भटके का।
पावन अहसास लिख।
लिखना है,
तो,
उंचाई, जूनून,ख्वाईश लिख,
मेहनत का रंग लिख।
धैर्य और उमंग लिख।
कह दे अपनी कलम से,
हो गई है हालत बदतर,
अब तो बचाव लिख।
बस बदलाव लिख।।
गुंज झाझारिया

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3 टिप्पणियाँ:

यहां शनिवार, दिसंबर 28, 2013, Blogger Onkar ने कहा…

बहुत खूब

 
यहां शुक्रवार, मार्च 28, 2014, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

आभार आप सभी का।। देरी के लिए माफ़ी।। बीच में कुछ समय व्यस्त थी।। आशा है आपका विश्वास यूँ ही बना रहे अहसास के प्रति।

 
यहां शुक्रवार, मार्च 28, 2014, Blogger गुंज झाझारिया ने कहा…

आभार आप सभी का।। देरी के लिए माफ़ी।। बीच में कुछ समय व्यस्त थी।। आशा है आपका विश्वास यूँ ही बना रहे अहसास के प्रति।

 

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