मालामाल
तेरा ज़मीर न उड़ा ले जाएँ,
ये आंधियां,
दबा कर रख ले कहीं।
काम लेने की क्या जरुरत,
किसी को भनक भी लगे नहीं।
चुरा ले जाएगा ज़माना,
कंगाल तू हो जाएगा,
मन की तसल्ली लुट जाएगी,
खड़े खड़े अभी यहीं।
दबा ले इस वहम को,
भूल जा,
क्या गलत, क्या सही।
किसने चुराया,
किसने कमाया,
कौन देखता है,
जिसके हाथ में हो सोना,
मालामाल कहलाये वही।
© गुंजन झाझारिया
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