तिरस्कारित होने पर उसी से सम्मान जीतने का जज़्बा रख,
तिरस्कार के बदले तिरस्कार,
बुद्धिहीन आदत,
तू ना रख,
सम्मान लेने का जूनून,
स्वादिष्ट व्यंजन की सुगंध जैसा,
पक जायेगा जब,
तृप्त होगी आत्मा कहकर,
चख,
ज़रा चख,
और चख।।।
© गुंजन झाझारिया
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